उज्जैन में गूंजे ‘नंद घर आनंद भयो’… महाकाल की नगरी जन्माष्टमी रंग में रंगी: सांदीपनि आश्रम से लेकर द्वारकाधीश मंदिर तक भक्ति और श्रृंगार में डूबा शहर, रात्रि 12 बजे होगी विशेष आरती!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली माने जाने वाले महर्षि सांदीपनि आश्रम से लेकर श्री महाकालेश्वर मंदिर और द्वारकाधीश गोपाल मंदिर तक भक्ति और उत्साह का माहौल है। पूरे शहर में धार्मिक अनुष्ठानों, श्रृंगार और विशेष आरती के साथ जन्माष्टमी महोत्सव की गूंज सुनाई दे रही है।

महर्षि सांदीपनि आश्रम में श्रीकृष्ण का  श्रृंगार

उज्जैन स्थित महर्षि सांदीपनि आश्रम, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी, जन्माष्टमी उत्सव का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।

  • प्रातःकालीन कलश पूजन के बाद सुबह 7 बजे से दर्शन का क्रम शुरू हुआ, जो रात 11:30 बजे तक चलेगा।

  • भगवान श्रीकृष्ण का विशेष श्रृंगार मोर पंखों से किया गया है।

  • रात्रि 12 बजे जन्माभिषेक के बाद जन्म आरती होगी।

  • श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर में महाप्रसाद वितरण का भी आयोजन रहेगा।

यहां की खासियत यह है कि सांदीपनि आश्रम प्राचीन काल से ही शिक्षा और अध्यात्म का प्रमुख केंद्र माना जाता है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर में कृष्ण स्वरूप का श्रृंगार

महाकाल की नगरी में जन्माष्टमी पर बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार भी आकर्षण का केंद्र रहा। संध्या आरती के बाद नैवेद्य कक्ष में लड्डू गोपाल का पंचामृत से पूजन-अभिषेक किया जाएगा। इसके साथ ही मंदिर परिसर स्थित श्री साक्षी गोपाल मंदिर में भी विशेष श्रृंगार और पूजन भी होगा।


द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में नाथद्वारा से आया श्रृंगार

सिंधिया ट्रस्ट के अंतर्गत आने वाले श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर को जन्माष्टमी पर विशेष रूप से सजाया गया।

  • मंदिर के श्रृंगार के लिए नाथद्वारा से सामग्री और वस्त्र मंगाए गए।

  • शनिवार सुबह पंचामृत पूजन-अभिषेक के बाद दर्शन शुरू हुए।

  • शाम 6:30 बजे मंदिर के पट बंद कर ढोली बुआ का कीर्तन हुआ।

  • रात्रि 12 बजे पट खोलने के बाद विशेष आरती का आयोजन होगा।

  • अगले दिन रविवार को यशोदा माता की झांकी सजाई जाएगी और बछ बारस तक प्रतिदिन ढोली बुआ की कथा होगी।

इस मंदिर का इतिहास भी विशेष है। सिंधिया राजवंश के काल में बनवाया गया यह मंदिर वर्ष 1909 में तैयार हुआ था और इसके निर्माण को 116 वर्ष पूरे हो चुके हैं।

इस्कॉन मंदिर में भक्तों की भीड़

भरतपुरी क्षेत्र स्थित इस्कॉन मंदिर में भी सुबह से ही भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। यहां भगवान राधा-मोहन का पूजन-अभिषेक कर उन्हें नए वस्त्र पहनाए गए और आभूषण व पुष्पों से सजाया गया। दर्शन करने वाले भक्तों को प्रसाद भी वितरित किया गया।

पूरे शहर में भक्ति का माहौल

जन्माष्टमी पर उज्जैन के प्रमुख मंदिरों—महाकालेश्वर, सांदीपनि आश्रम, द्वारकाधीश गोपाल मंदिर और इस्कॉन मंदिर—में दिनभर पूजन, श्रृंगार और विशेष आरती का आयोजन हो रहा है। आधी रात को जन्म आरती के साथ भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण का उत्सव मनाया जाएगा। वहीँ, रात्रि 12 बजे सभी प्रमुख मंदिरों में विशेष आरती का आयोजन होगा और अगले दिन यशोदा माता की झांकी तथा नंद उत्सव से पूरा शहर आनंदमय हो उठेगा। उज्जैन की गलियों में हर ओर कान्हा के जन्म की बधाइयों की गूंज है – नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की!

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